सागर,/ सागर जिले के शाहगढ़ जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत पापेट की संगीता आदिवासी पहले झोपड़ी में निवास करती थी। संगीता के पास खेती के लिए जमीन न होने के कारण पूरे परिवार को बाहर मजदूरी के लिए जाना पड़ता था। अपने ग्राम में वापस आने में 6 महीना या साल भी लग जाता था। कुछ दिन गांव में रहने के बाद जीवनयापन करने के लिए बार-बार मजदूरी के लिए बाहर जाना पड़ता था। पति मुकुंदी आदिवासी के निधन के वक्त संगीता भी गांव में ही थी, उसी समय ग्राम पंचायत द्वारा राष्ट्रीय सहायता राशि एवं पेंशन एवं राशन पर्ची भी स्वीकृत की गई। साथ ही उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाया गया। जिससे उसके जीवन में खुशियां आ गई। अब परिवार के लोग भी पक्के मकान में निवास करने लगे है।
संगीता आदिवासी के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत होने के उपरांत प्रथम किस्त की राशि मिली, जिसमें उसने स्वयं मजदूरी कर अपने आवास निर्माण का कार्य प्रारंभ किया दूसरी एवं तीसरी किस्त के साथ-साथ मनरेगा से उसे 90 दिन की मजदूरी भी प्राप्त हुई। आवास बनाने के बाद उसे अंतिम किस्त प्राप्त हुई।
शासन की ओर से मिली योजनाओं से संगीता आदिवासी के जीवन स्तर में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। जैसे अन्य योजनाओं राष्ट्रीय सहायता योजना, पेंशन पात्रता पर्ची, शौचालय, आयुष्मान कार्ड उसे प्राप्त हुआ है, जिससे आर्थिक एवं सामाजिक जीवन में भी काफी सुधार हुआ है। वह बताती है कि 3 जुलाई 2020 को पति की मृत्यु होने के बाद उसके परिवार को 5000 रू. अंत्येष्टि सहायता राशि प्राप्त हुई एवं पेंशन 600 रू. खाद्यान्न पर्ची एवं राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना राशि 20000 रू. भी मिले। उसकी बेटी रूचि सौर का लाडली लक्ष्मी योजना के तहत एन.एस.सी बनवाया गया है। वह बताती है कि पक्का आवास, खाद्यान्न पर्ची, पेंशन मिलने से मेरा जीवन यापन में सहारा मिला एवं मजदूरी कर अपने बच्चों को शिक्षा दे पा रही हूं। अब मेरा परिवार खुशी खुशी अपने आवास में रह रहा है। पहले मुझे जीवन यापन करने के लिए बाहर मजदूरी करना पड़ती थी, अब मुझे बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। अब मेरे बच्चे एक ही जगह पर गांव के स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। संगीत आदिवासी द्वारा बताया गया कि योजनाओं के लाभ मिलने से उसकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है साथ ही लोगों के बीच गर्व की अनुभूति और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि हुई है।