सागर
पान की गुमठी से गांजे का विक्रय करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 01 लाख रूपये अर्थदण्ड एवं सह-आरोपीगण को 01-01 वर्ष का कठोर कारावास एवं पॉच-पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड
सागर । न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने पान की गुमठी से गांजे का विक्रय करने वाले आरोपी केदार मिश्रा को स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा- 8 सहपठित धारा- 20(इ)(पप)(ब) के तहत 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड एवं गांजे विक्रय के सह-आरोपीगण शंभू सोनी एवं भरतलाल तिवारी को स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा- 8 सहपठित धारा- 20(इ)(पप)(ठ) के तहत 01-01 वर्ष का कठोर कारावास एवं पॉच-पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है । मामले की पैरवी विषेष लोक अभियोजक श्री संजय कुमार पटैल ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनॉक 25.10.17 को थाना गौरझामर में पदस्थ निरीक्षक को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि आरोपी केदार मिश्रा बस स्टेण्ड रोड के बाजू में स्थित पान की गुमटी से मादक पदार्थ गांजे का विक्रय कर रहा है मुखबिर द्वारा दी गई सूचना के आधार पर पुलिस अधिकारी हमराह स्टाफ सहित आरोपी केदार मिश्रा निवासी-गौरझामर हनुमान मंदिर बस स्टेण्ड के बाजू में उसकी पान की गुमटी पर पहुंचे । जहॉ आरोपी केदार मिश्रा उपस्थित मिला जिससे साक्षियों के समक्ष नाम पता पूछने पर अपना नाम व पता बताया। विधिकि कार्यवाही उपरांत आरोपी केदार मिश्रा की गुमटी की तलाषी लेने पर पान की गुमटी के अंदर दो प्लास्टिक की बोरियॉ रखी मिली जिसमें मादक पदार्थ गांजा था जिसे समक्ष गवाहान तलाषी पंचनामा तैयार किया गया । आरोपी केदार मिश्रा को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करने पर उसने बताया कि गांजा विक्रय करने के लिये भरतलाल तिवारी और शंभूदयाल सोनी द्वारा दिया जाता था फिर अभियुक्त शंभूदयाल सोनी के घर स्थित षिवानी जनरल स्टोर से विधिक कार्यवाही उपरांत गांजा जब्त किया गया तथा अभियुक्त भरतलाल तिवारी के मकान की तलाषी लेने पर उसके घर से एक थैले में हरे मटमैले रंग का पत्तीदार गांजे जैसा पदार्थ जब्त किया गया एवं अन्य वैधानिक कार्यवाही संपन्न की गई। अभियुक्तगण का कृत्य 8/20 एन.डी.पी.एस एक्ट के तहत पाये जाने से उनको गिरफ्तार किया गया। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-गौरझामर में धारा-8 सहपठित धारा-20(बी)(पप)(आ) एवं धारा-8 सहपठित धारा-20(बी)(पप)(ग) एन.डी.पी.एस. एक्ट 1985 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया।जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपीगण को उपरोक्त सजा से दंडित किया है।