सागर

मोटर साइकिल से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपियों को 02-02 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रूपये अर्थदण्ड

सागर । मोटर साइकिल से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपीगण आषीष उर्फ संतराम सिंह दांगी ठाकुर   एवं अनिल तिवारी थाना-सुरखी  को न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुये स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा- 20(इ)(पप)(ठ) के तहत 02-02 वर्ष का कठोर कारावास एवं दस-दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है । मामले की पैरवी विषेष लोक अभियोजक श्री संजय कुमार पटैल ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना सुरखी प्रभारी को दिनांक 24.06.2019 को मुखबिर जरिए सूचना प्राप्त हुई कि रहली बम्होरी तरफ से बेरखेडी गुरु जाने वाले रोड पर रामकुटी ढाबा के पास वाहन मोटरसाइकिल क्रमांक एमपी 15 एमए 9374 पर दो व्यक्ति मादक पदार्थ गांजे का परिवहन कर रहे हैं। उक्त सूचना के आधार पर मुखबिर के बताए स्थान पर रवाना हुए और रामकुटी ढाबा के सामने नाकाबंदी किया। नाकाबंदी के कुछ समय पश्चात रहली तरफ से एक सिल्वर कलर की प्लेटिना मोटरसाइकिल क्रमांक एमपी 15 एमए 9374 आई जिसे रोककर साक्षियों के समक्ष चैक किया। मुखबिर के बताए हुलिया अनुसार मोटरसाइकिल पर सवार दो व्यक्ति पाए गए थे जिनसे नाम पता पूछने पर मोटरसाइकिल चालक ने अपना नाम अनिल तिवारी तथा मोटरसाइकिल के पीछे बैठे व्यक्ति ने अपना नाम आशीषसिंह उर्फ संतराम दोनों निवासी बेरखेडी गुरु बताया था। मौके पर साक्षियों के समक्ष संदेहियों  की विधिक कार्यवाही उपरांत तलाषी ली गई । जिसमें संदेहियों की मोटरसाकिल की सीट पर रखी सफेद रंग की प्लास्टिक की बोरी जिसका मुंह पतली सुतली से बंधा हुआ था जिसे खोलकर चैक करने पर बोरी में बड़े.बड़े 7 पैकेट ऊपर से खाकी रंग की टेप चिपकी हुई पाए गएण् टेप को ब्लेड से काटकर देखा गया तो अंदर नीले रंग की प्लास्टिक की थैली लिपटी पाई गई। सभी 7 थैली को खोलकर देखा गया तो सभी में मटमैले रंग का नमीयुक्त मादक पदार्थ पाया गया। मौके पर उपस्थित साक्षीगण एवं थाना प्रभारी द्वारा गांजे को मसलकर सूधकर एवं जलाकर देखा तो मादक पदार्थ गांजा पाया गया । उसके पश्चात आरोपियों के पास से मिले मादक पदार्थ का तौल किया गया जो 6 किलो 500 ग्राम कीमती 97500  रूपये होना पाया गया।  उक्त आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-सुरखी द्वारा धारा-8/20 एन.डी.पी.एस. का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है।

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