वार्षिक परीक्षाओें को देखते हुए ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने के संबंध में आदेश जारी
सागर / कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री दीपक आर्य ने विद्यार्थियों की आगामी वार्षिक परीक्षाओं को दृष्टिगत ध्वनि प्रदूषण के संबंध में लाउड स्पीकरों के उपयोग पर नियंत्रण हेतु भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित दिशा निर्देशानुसार आदेश जारी किया है।
सार्वजनिक स्थलों पर जहां लाउड स्पीकर या सार्वजनिक संबोधन प्रणाली या किसी अन्य शोर स्त्रोत का उपयोग किया जा रहा है के लिए ध्वनि स्तर 10 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए। सार्वजनिक स्थलों में (आपातकालीन स्थितियों को छोडकर)कोई भी ढोल, नगाडा, तुरही या किसी भी अन्य स्त्रोत का उपयोग रात्रि में 10 से प्रातः 6 बजे तक प्रतिबंधित है। निजी स्वामित्वों वाली शोर प्रणाली का परिधीय शोर स्तर उस क्षेत्र के लिए निर्दिष्ट परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक से 5 डेसिबल से अधिक नहीं होगा।
सार्वजनिक स्थानों में विभिन्न स्त्रोतो द्वार होने वाले ध्वनि के बढते स्तर को नियंत्रित करने के लिए ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 में भारत में स्वीकार्य ध्वनि स्तरों को अधिनियमित किया है। औद्योगिक क्षेत्रों में अनुमेय सीमा दिन में 75 डेसिबल एवं रात में 70 डेसिबल है। व्यावसायिक क्षेत्रों में यह 65 डेसिबल एवं रात में 55 डेसिबल है। जबकि आवासीय क्षेत्रों में यह 55 डेसिबल एवं रात में 45 डेसिबल है। कलेक्टर ने सभी संबंधितो को उक्त आदेश का कडाई से पालन किये जाने के निर्देश दिए।