राजनीतिक

शिवराज ने गढ़ा नया मध्यप्रदेश

पिछले दो दशक में मध्यप्रदेश का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। आज विकास के सूचकांकों में प्रदेश की उपलब्धियाँ गौरव करने वाली है। राज्य की विकास दर 16 प्रतिशत से अधिक है। औद्योगिक विकास दर 24 प्रतिशत है। सड़क, बिजली और पानी के मुद्दे पर परिणाम हम सबके सामने हैं। इस दौरान प्रदेश ने 23 प्रतिशत कृषि विकास दर अर्जित की और सात बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त किया। प्रदेश ने जन-कल्याण के क्षेत्र में न केवल नए प्रतिमानों को स्थापित किया, वरन इस क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई योजनाएँ अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनी। राज्य ने अभूतपूर्व प्रगति की है। इस नए मध्यप्रदेश को गढ़ने का श्रेय निश्चित रूप से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता को दरबारी व्यवस्था से बाहर निकाल कर आमजन के बीच ले जाने का कार्य किया है। वे लगातार बैठकों के माध्यम से कार्यक्रमों को दिशा देते है और व्यवस्था को सुचारु बनाये रखते है। किसी एक विषय पर लगातार बैठकें कर किसी विषय को परिणाम तक पहुँचाने में उन्हें महारत है। कई बार बैठक में उनका कड़ा रुख भी सामने आता है। जनता के साथ उनका सीधा संवाद है और लगातार प्रतिदिन अलग-अलग जिलों में जाकर लोगों से मिलना उनकी खासियत है। उनके द्वारा विभिन्न वर्गों के लिए की गई 40 से अधिक पंचायतों ने प्रदेश में सामाजिक कल्याण की कई योजनाओं को स्वरूप दिया। वर्ष 2006 में प्रारम्भ की गई कन्या विवाह योजना और वर्ष 2007 में लागू की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना ने उन्हें आमजन का मुख्यमंत्री बनाया। योजनाओं के माध्यम से समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को लाभ मिला। श्री चौहान के विजन और मिशन ने सुशासन स्थापित किया है। लोक सेवा गारंटी, सीएम हेल्पलाइन, समाधान, पेसा नियम, भू-माफिया कानून जैसे कार्यक्रमों ने सरकारी व्यवस्था को आमजन के करीब पहुँचाया है और इसका लाभ दिलाया है। श्री चौहान के निर्णय मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण होते हैं। हर व्यक्ति की चिंता करना उनका स्वभाव है। पर्यावरण के प्रति उनकी निष्ठा ने प्रतिदिन पौध-रोपण के अंकुर अभियान को जन्म दिया। यह अभियान एक मिसाल बन गया है और एक राजनेता के रूप में उनके विलक्षण स्वरूप को बताता है।

कोरोना काल प्रदेश के लिये एक कठिन दौर था। लॉकडाउन के कारण अचानक सब कुछ बंद हो गया। लेकिन इन आपातकालीन परिस्थितियों में भी श्री चौहान ने कुशलता से सरकार का संचालन किया। स्वयं कोविड प्रभावित होने के बाद भी उन्होंने अस्पताल से सरकार चलाई। मुख्यमंत्री रहते हुए भी श्री चौहान कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा है। उनका ‘मैं हूँ ना’ का भाव आत्म-विश्वास जगाता है। वे कार्यकर्ताओं के लिए कहते है कि ‘पाँव में चक्कर, मुँह में शक्कर, सिर पर बर्फ और सीने में आग’ होना चाहिए। वे स्वयं भी इसी भाव का पालन करते है। मध्यप्रदेश उनका मंदिर है और प्रदेश की साढ़े 8 करोड़ जनता उनकी भगवान है। सामाजिक सेवा उनका अनुष्ठान है। विकसित मध्यप्रदेश उनका स्वप्न और जन-कल्याण लक्ष्य है। वे बहनों के लाड़ले भाई और भांजियों के लोकप्रिय मामा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान को 65वें जन्म-दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button