सागर

सफलता की कहानी राजकुमारी की कहानी उन्हीं की जुबानी


सागर / ग्राम रिछाई की श्रीमती राजकुमारी लोधी समूह से जुड़ने के पहले एक ग्रहणी की तरह एक महिला किसान की तरह अपनी सोच रखती थी और काम करती थी। आमतौर पर घर के सभी कामों में उनकी भूमिका केवल कार्यपालक की होती थी। जैसा बता दिया जाता था वैसा वह कर लेती थी। आजीविका मिशन के हाथ जोड़कर उन्होंने समूह में प्रवेश किया। पहले उन्हें ग्राम स्तरीय प्रशिक्षण मिला जिसमें समूह संचालन समूह प्रबंधन समूह के दस्तावेज संभालना, बचत करना, लेनदेन करना और बैंकिंग के कार्य थे धीरे-धीरे उन्होंने विकासखंड स्तर और जिला स्तरीय प्रशिक्षण में भाग लेना शुरू किया। कृषि के प्रशिक्षण मत भेज कर उन्हें ज्ञात हुआ कि अभी तक उनके खेतों में किसी एक प्रकार की फसल लगा दी जाती है। बहुत बार प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य कारणों से फसल को नुकसान हो जाता है परंतु प्रशिक्षण में उन्हें सीख मिली कि हमें एक साथ कई प्रकार की अलग-अलग समय पर फल देने वाली फसल देने वाली खेती करना चाहिए। यही कारण है कि उन्होंने रवि और खरीफ की फसलों में सब्जी उत्पादन फलोत्पादन, पशुपालन को भी जोड़ दिया। सब्जी की खेती में कम अवधि से लेकर अधिक अवधि में अधिक अवधि तक फल देने वाली सब्जियां उन्होंने लगाई। इसके लिए उन्होंने कई बार समूह से ऋण भी लिया जो समय पर चुकता कर दिया। धीरे-धीरे उनकी घरेलू आमदनी 10000 प्रति माह से बढ़कर 25000 रुपया प्रति माह तक पहुंच गई।
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने समूह से जुड़कर अपनी आमदनी को बढ़ाने में अनेक गतिविधियों संचालित किया है। जिसका परिणाम है कि खेतों में मजदूरी करने वाली महिलाएं अब मालिक बन रहे हैं। राजकुमारी लोधी जैसी महिलाएं कार खरीद कर यह साबित कर सकती है कि समूह से जुड़ी महिलाओं के लिए अब कुछ भी असंभव नहीं है।

2- पीएम स्वनिधि योजना कपडे़ की
दुकान के व्यवसाय में मील का पत्थर साबित हुई

सागर/ सागर जिले के शाहपुर के वार्ड क्रमांक 12 में हाथ ठेले पर कपडे़ की दुकान चलाने वाले जावेद के लिए पी.एम. स्वनिधि योजना मील का पत्थर साबित हुई है। जावेद पिता असगर खान द्वारा कपड़े की दुकान का संचालन हाथ ठेले पर किया जाता था। जावेद को पता चला कि नगर परिषद शाहपुर द्वारा ऋण आवेदन जमा किये जा रहे है। संपर्क कर ऋण आवेदन ऑनलाईन करने के बाद परिषद और यूनियन बैंक में दस्तावेज जमा किये। परिषद / बैंक के कर्मचारियो द्वारा स्थल का निरीक्षण किया गया, जिसमें उसे पात्र पाया गया तथा बैक द्वारा 10 हजार रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया। ऋण मिल जाने पर दुकान के संचालन में आसानी हुई तथा उसकी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो गई। जबकि कोरोना काल में उसकी दुकान न चलने से आर्थिक स्थिति ठीक नही थी। बैंक द्वारा पी. एम. स्वनिधि योजनांतर्गत ऋण प्राप्त हुआ तो अब वह नियमित बैंक की किस्त जमा करने के बाद अपने परिवार का आर्थिक रूप से सहयोग करने में सक्षम है। उसका परिवार भी बहुत खुश है।

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