संत शिरोमणि’ उपाधि प्राप्त गुरु संत रविदास को लोग ’रैदास’ के नाम से भी जानते हैं। संवत 1377, काशी में माघ पूर्णिमा के दिन जन्मे संत रैदास की रचनाएँ आध्यात्मिक एवं सामाजिक रूप से काफी प्रगतिशील रही। रैदासजी ने अपने आचरण तथा व्यवहार से प्रमाणित किया कि मनुष्य जन्म से नहीं अपने कर्मों से महान बनता है।
नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।।
रैदास जी ने आंतरिक सत्य की खोज करके अपने शब्दों एवं कार्यों के माध्यम से अनगिनत लोगों को समस्त जीवों के प्रति सेवा व करुणा का भाव रखने हेतु प्रेरित किया। संत रामानन्द के शिष्य रैदास जी ने रविदासी- रैदासी पंथ की स्थापना की और लोगों को आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। उनके रचे कुछ पद पवित्र ग्रंथ “गुरुग्रंथ साहिब“ में समाविष्ट है। संत रैदास की विरासत आज भारत के कई हिस्सों में सुरक्षित है।
’संत रविदास मन्दिर और कला संग्रहालय’
मध्यप्रदेश सरकार संत रविदास के सामाजिक परिष्कार, एकता के विचार और लोक- परिमार्जन एवं मानवता की वाणी को रक्षित करने का प्रयास करने जा रही है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सागर में 8 फरवरी 2023 को संत रविदास के महान कार्यों को जनभावनाओं के अनुरूप आदराजंलि देते हुए बड़तूमा में 100 करोड़ की लागत से संत रविदास मंदिर बनवाने की घोषणा की थी। वास्तव में संत रविदास की वाणी और विरासत को सुरक्षित रखकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने हेतु मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की यह पहल एक महान संत के प्रति मध्यप्रदेश सरकार और जन-जन की सच्ची श्रध्दाजंलि है।
सागर, मध्यप्रदेश का सबसे प्राचीन एवं महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। भारत के मध्य में स्थित होने से इसे देश का हृदय भी कहा जाता है। सागर जिले में निर्मित होने वाले मन्दिर एवं कला संग्रहालय का उद्देश्य कवि व समाज सुधारक संत रविदास सद्कार्यों को आदराजंलि देना एवं उनके जीवन-मूल्य व विरासत सभी को अवगत कराना है। समानता एवं ईश्वर के प्रति समर्पण भाव इस मन्दिर एवं संग्रहालय का केन्द्र बिंदु बनेगा।
’संत रविदास मन्दिर एवं कला संग्रहालय परिसर विभिन्न सुविधाओं के साथ देश-विदेश के कई साधक, संशोधक और भक्तों को आकर्षित करेगा। आधुनिक संसाधन, प्रकाश, पेड़-पौधों से परिसर का वातावरण ज्ञान के साथ सुकून का अनुभव भी करायेगा। साथ ही, इस परिसर का निर्माण वस्तु विज्ञान के आधार पर तैयार किया जाएगा।
’संत रविदास मन्दिर एवं कला संग्रहालय 101 करोड़ की लागत से 11.21 एकड़ भूमि में आकार लेगा। जिसमें निम्न विविध स्वरूप शामिल रहेंगे :-
इस परियोजना के मध्य में 5500 वर्गफुट में मुख्य मन्दिर आकार लेगा। मन्दिर नागर शैली से बनाया जाएगा। मन्दिर में गर्भगृह, अन्तराल मन्डप तथा अर्धमन्डप का सुंदर निर्माण होगा। मन्दिर केवल पूजा का स्थान न बनकर सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संवाद का केन्द्र बनेगा। आगंतुक भारतीय संस्कार व संस्कृति के विषय में विस्तार से जान पायेंगे। आध्यात्मिक विश्वासों पर चिंतन एवं मनन के लिए यह केन्द्र मुख्य आकर्षण बनेगा।
जलकुंड
संत रविदास संग्रहालय (म्यूजियम) के प्रवेश द्वार के सामने बड़ा सा जलकुंड आकार लेने वाला है। सुन्दर नक्काशी और मूर्तियों के साथ इस जलकुंड के आसपास पेड़-पौधों से युक्त रमणियता प्रदान की जायेगी। जल से पवित्रता का अनुभव होता है. इसलिए कुंड के पास विहार करने योग्य विशाल गलियारा बनेगा।
कला संग्रहालय
मन्दिर के आसपास वर्तुलाकार की भूमि पर चार गैलेरी बनेगी, जिसमें, संत रविदास जी के जीवन को विस्तृत रूपएवं आधुनिक संसाधनों की सहायता से प्रस्तुत किया जायेगा। संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक योगदान, भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका आदि विषयों को कलात्मक रूप से आधुनिक तकनीकों के साथ दर्शाया जायेगा ।
पुस्तकालय
दस हजार वर्गफुट में पुस्तकालय और संगत सभाखंड आकार लेगा। यहाँ संत रविदास जी की उपलब्धियों और शिक्षाओं को संग्रहित किया जायेगा। संत रविदासजी के कृतित्व के साथ यहाँ आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जायेगी। यह पुस्तकालय साहित्य संसाधनों के संग्रहण के रूप में सामने आयेगा। पुस्तकालय में संत रविदास के साथ अन्य महान गुरुओं एवं दार्शनिकों के विचार एवं ओजस्वी, वाणी, प्रवचनों एवं संभाषणों को संग्रहित कर रखा जायेगा। आगंतुक और संत रविदास के अनुयायी इस स्थान पर बैठकर साहित्य का अध्ययन कर सके, ऐसी व्यवस्था उपलब्ध होगी।
संगत सभाखंड का आकार फूलों की पंखुड़ियों जैसा निर्मित होगा। नवीन एवं आर्कषक रूप के इस विशाल संगत सभाखंड में संत रविदास की वाणी के साथ कई अन्य धार्मिक, आध्यात्मिक, संशोधनलक्षी कार्य होंगे, जैसे व्याख्यान, कार्यशाला, संगोष्ठियाँ। इस स्थान पर आकर लोग अपने विचारों का सरलतम तरीके से आदान- प्रदान कर पायेंगे। संगत सभाखंड सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन का स्त्रोत बनेगा।
भक्त निवास
यहां एक भक्त निवास, 12,500 वर्गफुट में बनेगा। यह क्षेत्र विश्वभर से पधारें साधकों, भक्तों, संशोधक, विद्वानों, यात्रियों की निवास व्यवस्था के लिए बनेगा। आरामदायक एवं रहने की समस्त व्यवस्थाएँ यहाँ उपलब्ध होंगी। एयर कंडीशंड कमरें, साफ बिस्तर, संलग्न बाथरुम वाले पंद्रह कमरे होंगे। साथ ही, पचास व्यक्तियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी प्राप्त होगी।
अल्पाहार -गृह
परिसर में पंद्रह हजार वर्गफुट में विशाल अल्पाहार- गृह का निर्माण होगा। डोम की डिजाइन वाले इस अल्पाहार-गृह में नाश्ते एवं विभिन्न बानगियों का भोजन परोसा जाएगा। बैठने के लिए पारंपरिक मेज एवं कुर्सियों के साथ बाहरी बैठक व्यवस्था भी बनाई जायेगी।
अल्पाहार गृह के पास दो बैठने योग्य स्थान ( गजेबो ) बनेंगे। मुलाकाती इस स्थान का उपयोग बैठने, पढ़ने, नाश्ता करने, विचारों का आदान-प्रदान करने हेतु कर पायेंगे। 1940 वर्गफुट में निर्मित यह क्षेत्र खुला होने के कारण आसपास का प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेना सरलतम एवं सुकूनदेह होगा।
स्ांत रविदास मंदिर एवं संग्रहालय के माध्यम से आधुनिक विकास और कलात्मकता के साथ संत शिरोमणि रविदास की शिक्षा एवं दीक्षाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से सार्थक एवं स्वागत योग्य है। यह आध्यात्मिक स्थान समग्र विश्व की विभिन्न संस्कृति के साधकों के लिए वैचारिक, सार्वभौमिक एवं सर्वस्पर्शी केन्द्र बिंदु बनेगा। साथ ही रहस्यवाद पंथ की गहरी समझ को और विस्तृत एवं व्यापक बनायेसागर में संत रविदास मंदिर निर्माण 12 अगस्त 2023 के अवसर पर प्रकाशनार्थ
संत रविदास की वाणी, विरासत को मूर्तरूप देने का सार्थक प्रयास
’संत रविदास मन्दिर एवं कला संग्रहालय’
– प्रलय श्रीवास्तव
नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।।
रैदास जी ने आंतरिक सत्य की खोज करके अपने शब्दों एवं कार्यों के माध्यम से अनगिनत लोगों को समस्त जीवों के प्रति सेवा व करुणा का भाव रखने हेतु प्रेरित किया। संत रामानन्द के शिष्य रैदास जी ने रविदासी- रैदासी पंथ की स्थापना की और लोगों को आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। उनके रचे कुछ पद पवित्र ग्रंथ “गुरुग्रंथ साहिब“ में समाविष्ट है। संत रैदास की विरासत आज भारत के कई हिस्सों में सुरक्षित है।
’संत रविदास मन्दिर और कला संग्रहालय’
मध्यप्रदेश सरकार संत रविदास के सामाजिक परिष्कार, एकता के विचार और लोक- परिमार्जन एवं मानवता की वाणी को रक्षित करने का प्रयास करने जा रही है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सागर में 8 फरवरी 2023 को संत रविदास के महान कार्यों को जनभावनाओं के अनुरूप आदराजंलि देते हुए बड़तूमा में 100 करोड़ की लागत से संत रविदास मंदिर बनवाने की घोषणा की थी। वास्तव में संत रविदास की वाणी और विरासत को सुरक्षित रखकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने हेतु मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की यह पहल एक महान संत के प्रति मध्यप्रदेश सरकार और जन-जन की सच्ची श्रध्दाजंलि है।
सागर, मध्यप्रदेश का सबसे प्राचीन एवं महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। भारत के मध्य में स्थित होने से इसे देश का हृदय भी कहा जाता है। सागर जिले में निर्मित होने वाले मन्दिर एवं कला संग्रहालय का उद्देश्य कवि व समाज सुधारक संत रविदास सद्कार्यों को आदराजंलि देना एवं उनके जीवन-मूल्य व विरासत सभी को अवगत कराना है। समानता एवं ईश्वर के प्रति समर्पण भाव इस मन्दिर एवं संग्रहालय का केन्द्र बिंदु बनेगा।
’संत रविदास मन्दिर एवं कला संग्रहालय परिसर विभिन्न सुविधाओं के साथ देश-विदेश के कई साधक, संशोधक और भक्तों को आकर्षित करेगा। आधुनिक संसाधन, प्रकाश, पेड़-पौधों से परिसर का वातावरण ज्ञान के साथ सुकून का अनुभव भी करायेगा। साथ ही, इस परिसर का निर्माण वस्तु विज्ञान के आधार पर तैयार किया जाएगा।
’संत रविदास मन्दिर एवं कला संग्रहालय 101 करोड़ की लागत से 11.21 एकड़ भूमि में आकार लेगा। जिसमें निम्न विविध स्वरूप शामिल रहेंगे :-
इस परियोजना के मध्य में 5500 वर्गफुट में मुख्य मन्दिर आकार लेगा। मन्दिर नागर शैली से बनाया जाएगा। मन्दिर में गर्भगृह, अन्तराल मन्डप तथा अर्धमन्डप का सुंदर निर्माण होगा। मन्दिर केवल पूजा का स्थान न बनकर सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संवाद का केन्द्र बनेगा। आगंतुक भारतीय संस्कार व संस्कृति के विषय में विस्तार से जान पायेंगे। आध्यात्मिक विश्वासों पर चिंतन एवं मनन के लिए यह केन्द्र मुख्य आकर्षण बनेगा।
जलकुंड
संत रविदास संग्रहालय (म्यूजियम) के प्रवेश द्वार के सामने बड़ा सा जलकुंड आकार लेने वाला है। सुन्दर नक्काशी और मूर्तियों के साथ इस जलकुंड के आसपास पेड़-पौधों से युक्त रमणियता प्रदान की जायेगी। जल से पवित्रता का अनुभव होता है. इसलिए कुंड के पास विहार करने योग्य विशाल गलियारा बनेगा।
कला संग्रहालय
मन्दिर के आसपास वर्तुलाकार की भूमि पर चार गैलेरी बनेगी, जिसमें, संत रविदास जी के जीवन को विस्तृत रूपएवं आधुनिक संसाधनों की सहायता से प्रस्तुत किया जायेगा। संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक योगदान, भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका आदि विषयों को कलात्मक रूप से आधुनिक तकनीकों के साथ दर्शाया जायेगा ।
पुस्तकालय
दस हजार वर्गफुट में पुस्तकालय और संगत सभाखंड आकार लेगा। यहाँ संत रविदास जी की उपलब्धियों और शिक्षाओं को संग्रहित किया जायेगा। संत रविदासजी के कृतित्व के साथ यहाँ आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जायेगी। यह पुस्तकालय साहित्य संसाधनों के संग्रहण के रूप में सामने आयेगा। पुस्तकालय में संत रविदास के साथ अन्य महान गुरुओं एवं दार्शनिकों के विचार एवं ओजस्वी, वाणी, प्रवचनों एवं संभाषणों को संग्रहित कर रखा जायेगा। आगंतुक और संत रविदास के अनुयायी इस स्थान पर बैठकर साहित्य का अध्ययन कर सके, ऐसी व्यवस्था उपलब्ध होगी।
संगत सभाखंड का आकार फूलों की पंखुड़ियों जैसा निर्मित होगा। नवीन एवं आर्कषक रूप के इस विशाल संगत सभाखंड में संत रविदास की वाणी के साथ कई अन्य धार्मिक, आध्यात्मिक, संशोधनलक्षी कार्य होंगे, जैसे व्याख्यान, कार्यशाला, संगोष्ठियाँ। इस स्थान पर आकर लोग अपने विचारों का सरलतम तरीके से आदान- प्रदान कर पायेंगे। संगत सभाखंड सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन का स्त्रोत बनेगा।
भक्त निवास
यहां एक भक्त निवास, 12,500 वर्गफुट में बनेगा। यह क्षेत्र विश्वभर से पधारें साधकों, भक्तों, संशोधक, विद्वानों, यात्रियों की निवास व्यवस्था के लिए बनेगा। आरामदायक एवं रहने की समस्त व्यवस्थाएँ यहाँ उपलब्ध होंगी। एयर कंडीशंड कमरें, साफ बिस्तर, संलग्न बाथरुम वाले पंद्रह कमरे होंगे। साथ ही, पचास व्यक्तियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी प्राप्त होगी।
अल्पाहार -गृह
परिसर में पंद्रह हजार वर्गफुट में विशाल अल्पाहार- गृह का निर्माण होगा। डोम की डिजाइन वाले इस अल्पाहार-गृह में नाश्ते एवं विभिन्न बानगियों का भोजन परोसा जाएगा। बैठने के लिए पारंपरिक मेज एवं कुर्सियों के साथ बाहरी बैठक व्यवस्था भी बनाई जायेगी।
अल्पाहार गृह के पास दो बैठने योग्य स्थान ( गजेबो ) बनेंगे। मुलाकाती इस स्थान का उपयोग बैठने, पढ़ने, नाश्ता करने, विचारों का आदान-प्रदान करने हेतु कर पायेंगे। 1940 वर्गफुट में निर्मित यह क्षेत्र खुला होने के कारण आसपास का प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेना सरलतम एवं सुकूनदेह होगा।
स्ांत रविदास मंदिर एवं संग्रहालय के माध्यम से आधुनिक विकास और कलात्मकता के साथ संत शिरोमणि रविदास की शिक्षा एवं दीक्षाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से सार्थक एवं स्वागत योग्य है। यह आध्यात्मिक स्थान समग्र विश्व की विभिन्न संस्कृति के साधकों के लिए वैचारिक, सार्वभौमिक एवं सर्वस्पर्शी केन्द्र बिंदु बनेगा। साथ ही रहस्यवाद पंथ की गहरी समझ को और विस्तृत एवं व्यापक बनायेगा।
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