भोपालसागर

 गीले-सूखे कचरे से मसवासी ग्रंट स्थित एम एस डब्ल्यूप्लांट में बनाई जा रही खाद कृषि कार्य के लिए है उपयोगी

ःः घरों से निकलने वाले गीले एवं सूखे कचरे को नागरिकगण कचरा गाड़ी को ही दें-निगमायुक्त

सागर  नगर निगम आयुक्त श्री चंद्रशेखर शुक्ला ने नागरिकों से अपील की है कि घरों से निकलने वाले गीले एवं सूखे कचरे को खुले में न फेंके, उसको कचरा गाड़ी को दें जिससे  उस कचरे से मसवासी ग्रंट स्थित एमएसडब्ल्यू प्लांट में  वैज्ञानिक पद्धति से कंपोस्ट खाद बनाई जाती है जो कृषि के लिए उपयोगी है।
शहर से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे से खाद बनाने के लिए नगर निगम द्वारा शहर से लगभग 15  किलोमीटर दूर मसवासी ग्रंट में देश का आधुनिकतम प्लांट लगा है, जिसमें नगर ही नहीं पूरे जिले  की नगर पालिका क्षेत्र  का कचरा वाहनों के माध्यम से लाया जाता है और उसकी आधुनिकतम तरीके से प्रोसेसिंग करके खाद बनाई जाती है जो किसानों को कृषि कार्य के लिए काम आती है ।
प्लांट तक कैसे पहुंचता है कचरा- नगर में प्रतिदिन कचरा गाड़ियों के माध्यम से गीला- सूखा कचरा इकट्ठा किया जाता है जिसे बाघराज वार्ड में बने  कचरा स्टेशन पर भेजा जाता है जहां उस कचरे को कंपेक्टर से दबाकर बड़े वाहनों में भरकर उसको मसवासी ग्रंट में बने एमएसडब्ल्यू प्लांट पर भेजा जाता है । कैसे बनती है कचरे से खाद- एमएसडब्ल्यू  प्लांट पर दो सौ से ढाई सौ टन कचरा प्रतिदिन पहुंचता है जिसकी प्लांट पर प्रोसेसिंग की प्रक्रिया की जाती है  जिसमें सबसे पहले उस कचरे की  छटांई की जाती है जिसके लिए प्लांट में लगे 75 एमएम के ट्रामिल में भेजा जाता है जहां इस कचरी से आरडीएफ एवं एमआरपी छटांई उपरांत कचरे को प्लांट में बने अलग-अलग विंडो में भेजकर 28 दिन तक रखा जाता है । उसके पश्चात उसका चलेगो 25 एमएम के ट्रामिल में भेजते हैं। फिर दूसरे चरण में आरडीएफ को अलग किया जाता है 25 एमएम मटेरियल जो शेष रह जाता है उसे 14 दिन के लिए स्टोर किया जाता है उसके उपरांत उसकी 24 एमएम में थेसिंग किया जाता है । उसके पश्चात कंपोस्ट खाद बन जाती है जिसे जिसका सैंपल लेकर प्लांट में ही बनी आधुनिक प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाता है जहां उसकी पूरी वैज्ञानिक विधि से 13 पैरामीटर पर जांच की जाती है और उसका रिकॉर्ड संधारित किया जाता है उसके उपरांत खाद के लिए किसानों को कृषि कार्य हेतु उपलब्ध कराया जाता है।

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