भोपालसागर

शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर नाबालिग के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड

सागर । शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर नाबालिग के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपी योगेष ठाकुर को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-  376(1) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 1989 की धारा-3(1)(डब्ल्यू(आई) के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड , धारा 3(2)(व्ही-ए) के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास व एक हजार रूपये अर्थदण्ड , धारा-3(2)(व्ही) के तहत आजीवन सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं माननीय न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया । मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता/बालिका के पिता ने दिनांक 06.09.2019 को पुलिस थाना केन्टोन्मेंट में रिपोर्ट लेख कराई कि उक्त दिनांक को बालिका दिन के करीब 11.00 बजे स्कूल गई थी जो शाम 4.30 बजे तक घर वापिस नहीं आई तो फिर उसने बालिका की सहेलियांे एवं उसके पूरे रिश्तेदारों में बालिका के बारे में पता किया लेकिन बालिका का पता नहीं चलने पर अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका के आधार पर रिपोर्ट लेख कराई। दिनांक 10.08.2021 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसके द्वारा बताया गया कि अभियुक्त योगेश उसे शादी करने का कहकर राजकोट ले गया था और एक किराये के कमरे में अभियुक्त योगेश द्वारा बालिका के साथ उसकी मर्जी के बगैर बलात्कार कराना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केन्टोमेंट द्वारा धारा-366, 376-ए, 376-डी भा.दं.सं. एवं धारा 3/4 पॉक्सो एक्ट, 2012 एवं धारा 3(2)(अ.ं), 3(2)(अ) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।

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