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ब्रज में असली रंग बरसाना की लड्डू होली से देखने को मिलता है

मथुरा/ होली का पर्व देश दुनिया में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। अगर बात होली की हो और ब्रज का नाम न आए, तो यह संभव ही नहीं है। होली वैसे तो 8 मार्च को है, लेकिन यहां इसकी शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है। होली पर ब्रज में असली रंग बरसाना की लड्डू होली से देखने को मिलता है। सोमवार को बरसाना में प्रसिद्ध लड्डू होली खेली जाएगी। जिसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

लट्ठमार होली से पहले खेली जाती है लड्डू होली
ब्रज में लट्ठमार होली की परम्परा बेहद प्राचीन है और बरसाना को इसका केंद्र माना जाता है। बरसाने की लट्ठमार होली के विश्व प्रसिद्ध होने की वजह है इसका परंपरागत स्वरुप। बरसाने की हुरियारिनों से होली खेलने के लिए नंदगांव के हुरियारे आते हैं।

जहां वह हुरियारिनों द्वारा किए जाने वाले लाठी के वार को अपने साथ लाई ढाल से बचाते हैं। इसी लट्ठमार होली को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ब्रज पहुंचते हैं। बरसाना की लट्ठमार होली से एक दिन पहले खेली जाती है लड्डू होली।

यह है मान्यता
लड्डू होली के पीछे मान्यता है कि द्वापर युग में राधा रानी और उनकी सखियों ने भगवान के साथ होली खेलने का मन बनाया। इसके लिए बाकायदा एक दूत न्योता देने भगवान श्री कृष्ण के गांव नंदगांव भेजा गया।

नंदगांव में जब भगवान ने होली खेलने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। इसके बाद जब पंडा ने आकर बरसाना में भगवान के होली खेलने का निमंत्रण स्वीकार करने की बात कही, तो यह सुनकर बरसाना वासी खुश हो गए और फेंकने लगे एक दूसरे पर लड्डू और खेलने लगे होली।

आज भी निभाई जा रही परंपरा
द्वापर युग में हुई इस परंपरा का निर्वहन आज भी उसी तरह किया जाता है, जैसे भगवान के समय में किया गया। होली का निमंत्रण देकर जब ये पांडा लौट कर बरसाने के प्रमुख श्री जी मंदिर में पहुंचता है, तो यहां मंदिर में सभी गोस्वामी एकजुट होकर उसका स्वागत करते हैं।

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