विदेश

डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने,पाकिस्तान को नहीं मिली IMF से मदद

कराची
 पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक टीम पाकिस्तान में पिछले कई दिनों से है और गुरुवार 9 फरवरी को उसका दौरा समाप्त हो रहा है. लंबी बातचीत के बाद भी पाकिस्तान और IMF के बीच बेलआउट पैकेज को लेकर फिलहाल कोई सहमति नहीं बन पाई है और दोनों पक्षों के बीच गतिरोध बरकरार है. पाकिस्तान के एक अधिकारी का कहना है कि उनकी सरकार IMF से हिम्मत के साथ डील कर रही है.

ऐसा माना जा रहा था कि बातचीत खत्म होने से एक दिन पहले यानि बुधवार को IMF बेलआउट पैकेज का ड्राफ्ट Memorandum of Economic and Fiscal Policies (MEFP) पाकिस्तान को सौंप देगी लेकिन अभी तक IMF ने ऐसा नहीं किया है.

पाकिस्तान के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने डॉन अखबार को बताया, 'बुधवार की रात तक, हमें MEFP का ड्राफ्ट प्राप्त नहीं हुआ है. राजकोषीय उपायों और बाहरी फंडिंग स्रोतों को लेकर अभी कोई बात नहीं बनी है.'

दोनों पक्षों के बीच जारी गतिरोध

दोनों पक्ष राजकोषीय घाटे और विदेशी फंड के स्रोतों को लेकर असहमत हैं. IMF ने पाकिस्तान के लिए 900 अरब का राजकोषीय घाटा निर्धारित किया है जिस पर पाकिस्तान को भारी आपत्ति है. पाकिस्तान का कहना है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसे हर चीज पर बहुत अधिक टैक्स लगाना पड़ेगा.

पाकिस्तानी अधिकारियों ने IMF के सामने Circular Debt Management Plan (CDMP) पेश किया है जिसके तहत वो IMF की कठिन शर्तों में कुछ छूट की मांग कर रहे हैं. पाकिस्तानी अधिकारी मांग कर रहे हैं कि सभी जरूरी सब्सिडी को कम करके उगाही जाने वाली धन राशि को 687 अरब से कम करके 605 अरब कर दिया जाए जिससे राजकोषीय घाटा 400-450 अरब की सीमा में रहेगा.

पाकिस्तान के वित्त मंत्री क्या बोले?

इसी बीच पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच सात अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम की नौवीं समीक्षा पूरी होने से संबंधित मामले आज सुलझने की उम्मीद है.

राजधानी इस्लामाबाद में पत्रकारों ने डार से पूछा कि IMF के साथ बातचीत कहां तक पहुंची है, जिसके जवाब में मंत्री ने कहा, 'सब कुछ ठीक चल रहा है. अभी बातचीत का फाइनल राउंड चल रहा है. मैं IMF की टीम से हर दिन मिलता हूं और आज भी मिलूंगा. उम्मीद है कि मामले आज सुलझ जाएंगे. हम आपको बहुत जल्द इसकी खबर देंगे.'

पाकिस्तान के लिए IMF प्रोग्राम में जाना बेहद जरूरी है. अगर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बनी तो पाकिस्तान डिफॉल्ट हो जाएगा और सालों तक इससे उबर नहीं पाएगा. IMF प्रोग्राम में जाने के बाद पाकिस्तान को मित्र देशों और वर्ल्ड बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से भी कर्ज मिलने में आसानी होगी.

जनवरी के आखिर में पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा था कि उसके पास अब केवल 3.09 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा बची रह गई है. इतने पैसे में पाकिस्तान बस 18 दिन ही आयात कर पाएगा. अगर जल्द IMF से बात नहीं बनी तो पाकिस्तान भूखे मरने को मजबूर हो जाएगा.

'हमारी चुनौतियां कल्पना से परे'

हाल ही में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि IMF की शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा था कि देश के वित्त मंत्री इशाक डार और उनकी टीम जिस मुश्किल दौर से गुजर रही है, उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता.

शर्तों को लेकर चिंतित पीएम शरीफ ने कहा था कि उनके पास IMF बेलआउट पैकेज को स्वीकार करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था. पाकिस्तान की सरकार ने IMF की कुछ शर्तों को देश में लागू किया है जिसके बाद से देश में महंगाई और बढ़ी है. पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को 16% तक बढ़ा दिया गया है और रसोई गैस की कीमत में 30 फीसद का इजाफा किया गया है.

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